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मास्टर मित्रसेन थापा की प्राचीन पुस्तकें - अभिलेख के रूप में गोरखा समुदाय की यादों को सहेजेगा कांगड़ा कला संग्रहालय


धर्मशाला : स्थानीय तोतारानी गांव में बसे गोरखा समुदाय के लोगों की ओर से बनाए गए कला संग्रहालय (म्यूजियम) में मास्टर मित्रसेन थापा की प्राचीन पुस्तकें और अभिलेख अब कांगड़ा कला संग्रहालय की शोभा बढ़ाएंगे। देखरेख के अभाव में तोतारानी गांव में बने म्यूजियम में मास्टर मित्रसेन थापा की प्राचीन पुस्तकें और अभिलेख दीमक से खराब होने लगे थे। इसका पता चलने पर मास्टर मित्रसेन की बहू देव कन्या और उनके पौत्र अरविंद थापा ने प्राचीन पुस्तकें और अभिलेख सहित सारी धरोहरें म्यूजियम से वापस ले लीं। इसके बाद बहू ने धरोहरों को कांगड़ा म्यूजियम में सहेजने के लिए दे दिया। मास्टर मित्र सेन थापा के पौत्र अरविंद थापा ने बताया कि तोतारानी में मास्टर मित्रसेन की यादों को सहेजने के लिए वर्ष 1983 में संस्था बनी। उसके बाद वर्ष 2000 में इस कला संग्रहालय का निर्माण करवाया गया था।

इस कला संग्रहालय को बनाने के लिए भूमि स्वर्गीय दिग्विजय सेन थापा ने दान में दी थी। इसके निर्माण कार्य को करवाने के लिए खर्च प्रदेश सरकार की ओर से किया गया था। उसके बाद इस भवन को गोरखा समुदाय को मित्रसेन थापा की यादों को सहेजने के लिए समर्पित कर दिया गया था। इस कला संग्रहालय में मास्टर मित्रसेन थापा से संबंधित कई अभिलेख और प्राचीन वस्तुएं रखी गई थीं। अब धर्मशाला म्यूजियम में ही दुनिया भर के कलाप्रेमी प्रसिद्ध लेखक, गीतकार मास्टर मित्रसेन की कलाकृतियां देख सकेंगे। अरविंद थापा ने बताया कि तोतारानी में बने इस कला संग्रहालय को मास्टर मित्र सेन की याद में बनवाया गया था। इसके रखरखाव के लिए कमेटी भी बनाई गई थी। लेकिन, अब इस कला संग्रहालय की देखरेख करने वाला कोई भी नहीं है। इसके चलते इन बेशकीमती अभिलेखों को दीमक लगना शुरू हो गया था।

कौन हैं मास्टर मित्रसेन
मास्टर मित्रसेन भारतीय गोरखा मूल के प्रसिद्ध नेपाली लेखक और साहित्यकार थे। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में भी भाग लिया था। नेपाली संगीत कला के वे महाज्ञानी थे। नेपाली संस्कृति को वह भविष्य के युवाओं तक पुहंचाना चाहते थे।

मास्टर मित्रसेन की प्रख्यात पुस्तकें 
वीर अभिमन्यु, हीत कोकुरा, कथा संग्रह, सत्य नारायण कथा, धर्म पुत्र, गीता, गाहिरों खोज (गहरी खोज), बुध वाणी, भीष्म पर्व, एकादशी वर्त महात्मय, विराट पर्व, मित्रको डायरी, मित्रको यात्रा, परशु राम, उद्योग पर्व, तीन कोरा, (जिंदगी का कढ़वा सच) आदि पर्व, तीर्थ यात्रा, कृष्णा जन्म, भुगोल रिधि।

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