Header Ads

दार्जीलिंग : नेपाली सिनेमा के भारतीय गोरखा फिल्मकार प्रताप सुब्बा का निधन

वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क

दार्जिलिंग : भारतीय नेपाली भाषाई सिनेमा और दार्जिलिंग पहाड़ के दिग्गज फिल्मकार प्रताप सुब्बा ने बीते दिनों इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सुब्बा के निधन पर नेपाली फिल्म जगत ने भी शोक जताया। फिल्मकार सुब्बा 76 वर्ष के थे। सुब्बा ने लंबी बीमारी के बाद बीते गुरुवार को सिलीगुड़ी में अंतिम सांस ली। शनिवार को दार्जिलिंग के गोरखा दुख निवारक सम्मेलन (GDNS) में सैकड़ों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी, जहां श्मशान घाट ले जाने से पहले उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था।

प्रताप सुब्बा ने 1978 में परालको आगो के साथ एक फीचर फिल्म निर्देशक के रूप में अपनी शुरुआत की, जिसके बाद उन्होंने 1982 में " बाच्न चाहनेहरू", 1985 में "मशाल", 1988 में "कही अंधारो कहीं उज्ज्यालो", 1992 में "दीदी", 1994 में "चतुरांग" और 1994 में "भीष्म प्रतिज्ञा" जैसी फिल्में बनाईं। साल 1985 बॉलीवुड अभिनेता डैनी डेन्जोंगपा ने सुब्बा की मशाल से अपनी नेपाली फिल्म की शुरुआत की थी।

"परालको आगो" फ़िल्म ने सुब्बा को न केवल दार्जिलिंग और उसके आसपास बल्कि नेपाल में भी एक घरेलू नाम बना दिया। फिल्म में मुख्य अभिनेत्री नेपाल की बसुंधरा भुसाल थीं। उससे के दशक में राजनीतिक रूप से अस्थिर दार्जिलिंग के दौरान सुब्बा के काम ने विवादों को जन्म दिया और 1988 में "कही अंधारो कहीं उज्यालो" के प्रीमियर को कम करना पड़ा था। 

वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क भारतीय गोरखाओं के लिए प्रेरणास्रोत रहे नेपाली सिनेमा के फिल्मकार प्रताप सुब्बा को नमन करता है।


No comments

Powered by Blogger.