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जय राई छाँछा के अनुवादित कवितायें - भाग 2

जय राई छांछा

यहाँ और वहाँ

यहाँ और वहाँ
वहाँ और यहाँ

न किसी भूमि पर यातायात की सुविधा है
न ही हवाई-सेवा
फिर भी चकित हूँ मैं
बारिश में फूलने वाले फूल की तरह
आती रहती है
तुम्हारी याद ।

यहाँ और वहाँ के बीच में-

छोटे / बडे पहाड़ हैं
ट्रैफिक नियमों वाली
छोटी / बड़ी सड़कें हैं
फिर भी
अविरल बहने वाली नदी बनकर
आती रहती है
तुम्हारी याद ।
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बूढ़ी अँगुली

मैंने सोचा
कई तरह से सोचा ।
आंदोलित हुए मन से सोचा / शांत मन से सोचा
उठकर सोचा / सोते हुये सोचा
एकांत में सोचा / कोलाहल में सोचा
तृप्त होकर सोचा / निराहार सोचा
उजाले में सोचा / अंधेरे में सोचा
विपनामा में सोचा / सपने में सोचा
प्रत्येक पल सोचने पर
सोचते-सोचते
मेरे ह्रदय में बनी
विशाल तुम्हारी प्रतिमा को
साक्षी रखकर
हमारे प्रेम की
सच्चाई रगड़ने के लिए
मेरे पैर की बूढ़ी अंगुली
एकदम तैयार है
क्या तुम भी तैयार हो?
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मंदिर और प्रेम

मंदिरों में
देवताओं की मूर्तियाँ हैं
दीये हैं
घंटियाँ हैं
पूजारी हैं
भक्तों की भीड़ है ।

और
उससे भी दूर
उससे भी ऊपर
मंदिर के
शीर्ष और माथे पर
सजे हुये हैं कलापूर्ण कामुक चित्र ।

ठीस इस समय

मंदिर के एक कोने पर खड़े होकर
जीवन और प्रेम की परिभाषा खोज रहा हूँ मैं
शायद
आस्था और प्रेम के / दो तरफ रखे मीठे फल
शायद मंदिर ही हैं
ऐसा रहा है मुझे ।

(मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला)

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