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क्या दलाई लामा 600 वर्ष पुरानी परम्परा बदल देंगे ?

धर्मशाला। तिब्बत के आध्यात्मिक नेता क्या पिछले 600 साल से चली आ रही 'दलाई लामा' की पारम्परिक संस्था को समाप्त कर एक बार फिर इतिहास रचने जा रहे हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दलाई लामा वैकल्पिक स्थिति तलाश रहे हैं। दलाई लामा के दफ्तर में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "वह जानते हैं कि उन पर निर्भरता की संस्कृति बढ़ गई है और वह इसे समाप्त करना चाहते हैं। वह अपनी मौत के बाद अराजकता नहीं चाहते।" एक दिन पहले ही दलाई लामा ने कहा था कि जब वह 90 साल के हो जाएंगे तो वह दलाई लामा संस्था को जारी रखने का पुनर्मूल्यांकन करेंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि अधिक सम्भावना इस बात की है कि दलाई लामा पुनर्जन्म के जरिये दलाई लामा के चुनाव की 600 साल की पुरानी परम्परा को समाप्त करने की कोशिश करेंगे। अपने हाल के कई सम्बोधनों में उन्होंने कहा भी कि आध्यात्मिक नेताओं और राजाओं से शासन की बात पुरानी हो चुकी है। नोबल पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने अपने आधिकारिक वेबसाइट पर एक सवाल के जवाब में कहा, "व्यक्तिगत रूप से मैं समझता हूं कि दलाई लामा संस्था ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया है। वर्ष 2001 से हमारे पास कालों त्रिपा (प्रधानमंत्री) के रूप में एक निर्वाचित प्रशासन है, जो हमारे राजनीतिक प्रतिष्ठान का प्रभारी है।" इस साल मई में दलाई लामा ने तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख के रूप में इस्तीफा देते हुए 369 वर्ष पुरानी उस परम्परा को समाप्त कर दिया था, जिसके मुताबिक दलाई लामा को आध्यात्मिक और सांसारिक शक्तियां प्राप्त थीं।

दलाई लामा ने कहा, "इस वक्त दलाई लामा संस्था तिब्बती संस्कृति और लोगों के लिए उपयोगी है। ऐसे में यदि मैं आज मर जाता हूं तो मैं समझता हूं कि तिब्बत के लोग दूसरे दलाई लामा का चयन करेंगे। यदि भविष्य में दलाई लामा संस्था प्रासंगिक और उपयोगी नहीं रह जाती और हमारी मौजूदा स्थिति में परिवर्तन होता है तो दलाई लामा संस्था समाप्त हो जाएगी।" चीन के यह कहने पर कि अगले दलाई लामा का जन्म तिब्बत में होगा और उनका चयन उसके द्वारा किया जाएगा, दलाई लामा ने कहा, "तिब्बत को लेकर यदि मौजूदा स्थिति बरकरार रहती है तो मैं चीनी प्रशासन के नियंत्रण से परे तिब्बत के बाहर जन्म लूंगा।" उन्होंने कहा, "जब मैं 90 साल का होऊंगा, तब वरिष्ठ लामाओं और तिब्बती जनता तथा अन्य सम्बंधित लोगों से परामर्श और पुनर्मूल्यांकन करूंगा कि इस संस्था को आगे जारी रहना चाहिए या नहीं।"

(साभार - आईएनएस)

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