Header Ads

घरेलू प्रताड़ना को सही मानती हैं 62% नेपाली महिलाएं

काठमांडू नेपाल में महिलाओं की एक बड़ी आबादी का मानना है कि यदि वे खाना जलाती हैं या यौन सम्बंध से मना करती हैं तो पति को उन्हें पीटने का अधिकार है। इसी तरह यदि वे दहेज लेकर नहीं आतीं या सास को बिना बताए घर से बाहर जाती हैं तो सास को भी उन्हें पीटने का अधिकार है। इसका खुलासा 'द नेपाल मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे 2010' से हुआ है। नेपाल के 75 में से 24 जिलों में यह सर्वेक्षण किया गया। यूनीसेफ के सहयोग से नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में 6,000 परिवारों को शामिल किया गया, जिसमें करीब 7,000 महिलाओं से उनकी पारिवारिक जिंदगी, स्वास्थ्य और बच्चों के बारे में पूछताछ की गई।

सितम्बर
-दिसम्बर 2010 के बीच हुए इस सर्वेक्षण के अनुसार, 15 से 49 वर्ष की 48 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि यदि वे भोजन ठीक से नहीं पकाती हैं, यौन सम्बंधों से मना करती हैं, बच्चों की उपेक्षा करती हैं या तक-वितर्क करती हैं तो पति को उन्हें पीटने का अधिकार है। इसी तरह कुल 62 प्रतिशत महिलाओं ने दहेज न लाने और सास को बिना बताए घर से बाहर जाने पर उनके द्वारा की जाने वाली पिटाई को उचित ठहराया। नेपाल के कानून में 18 वर्ष से पहले लड़कियों की शादी को भी दंडनीय बनाया गया है, लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार करीब 60 प्रतिशत लड़कियों की शादी इस उम्र से पहले ही हो जाती है। करीब 16 प्रतिशत लड़कियों की शादी तो 15 वर्ष से भी पहले ही हो जाती है।

चौपाडी
परम्परा भी प्रतिबंध के बावजूद नेपाल के विभिन्न हिस्सों में जारी है, जिसके तहत मासिक धर्म के दौरान लड़कियों तथा महिलाओं को पानी, पौधे और यहां तक कि अपने पति को भी छूने की मनाही होती है। काठमांडू और कुछ अन्य शहरों में हालांकि यह समस्या कम देखने को मिलती है, लेकिन दूर-दराज के क्षेत्रों में यह समस्या अधिक है। महिला शिक्षकों और छात्राओं को इस दौरान स्कूल जाने की भी मनाही होती है। नेपाल में यूनीसेफ के प्रतिनिधि हना सिंगर ने कहा, "यह अस्वीकार्य है। कानूनी तौर पर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन उनके नियमन की निगरानी किए जाने की जरूरत है।"


No comments

Powered by Blogger.