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जनरल अब दिल्ली कूच को तैयार

देहरादून। उत्तराखंड में अपना ठौर जमाने के बाद मुख्यमंत्री मे.ज. (सेनि) भुवन चंद्र खंडूड़ी जल्द अपने प्रशासनिक लाव लश्कर के साथ दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। केंद्र सरकार में लटके मामलों को लेकर जनरल ने गंभीरता दिखाई है। मुख्यमंत्री की पहल के बाद मुख्य सचिव ने सभी प्रमुख सचिवों व सचिवों से ऐसे मामलों का ब्योरा दो दिन के भीतर तलब किया है। समझा जा रहा है कि जनरल के इस कदम से कांग्रेस को भी मुश्किल पेश आ सकती है क्योंकि अभी राज्य के पांचों लोकसभा सदस्य कांग्रेस के ही हैं।

मुख्यमंत्री जनरल खंडूड़ी ने राज्य में व्यवस्था में बदलाव का आगाज कर दिया है और अब उनका अगला निशाना दिल्ली पर है। दरअसल, मुख्यमंत्री पद संभालते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने और ब्यूरोक्रेसी में फेरबदल की शुरुआत के बाद अब मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने ऐसे मामलों को तवज्जो दी है, जो केंद्र सरकार के स्तर पर अरसे से लंबित हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान आपदा राहत पैकेज, केंद्रीय विश्वविद्यालय के कैंपस के रूप में गढ़वाल में मेडिकल कालेज, हरिद्वार में ईएसआई मेडिकल कालेज व राज्य के कई हिस्सों में चिकित्सालय, ऋषिकेश में एम्स, इको सेंसेटिव जोन, ग्रीन बोनस की डिमांड, जल विद्युत परियोजनाएं जैसे विषय केंद्र और राज्य सरकार के बीच अकसर विवाद पैदा करते रहे हैं।

अब मुख्यमंत्री खंडूड़ी ने केंद्र में लंबित मामलों के समाधान की पहल की है। इस कड़ी में बुधवार को मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने सभी प्रमुख सचिवों व सचिवों को एक पत्र जारी किया। इस पत्र में कहा गया है कि निकट भविष्य में मुख्यमंत्री का दिल्ली कार्यक्रम प्रस्तावित है। इस दौरान वह प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर सकते हैं। लिहाजा केंद्र सरकार को भेजे गए ऐसे मसले, जो अभी तक लंबित हैं, का ब्योरा दो दिन के भीतर उपलब्ध करा दिया जाए। साफ है कि मुख्यमंत्री खंडूड़ी प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के लिए पूरा होमवर्क कर रहे हैं ताकि इस तरह के मसलों का समाधान हो सके।

मुख्यमंत्री के इस स्टैंड से कांग्रेस के समक्ष मुश्किल हालात पेश आने तय हैं। दरअसल, इस समय राज्य के सभी पांचों लोकसभा सदस्य कांग्रेस के हैं और भाजपा की तरफ से अकसर उन पर केंद्र सरकार के समक्ष राज्य हितों से जुड़े विषयों पर पैरवी न करने के आरोप लगते रहे हैं। अब जनरल दिल्ली में ऐसे तमाम मामलों पर पहल कर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल देंगे तो कांग्रेसी सांसदों को जनता को जवाब देने में दिक्कत पेश आ सकती है। खासकर, जिस तरह विधानसभा चुनाव अब काफी निकट हैं, उससे राज्य में कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा हो सकता है।

(साभार - जागरण)

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