दार्जिलिंग। गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (
जीटीए)
पर केंद्र,
राज्य व गोजमुमो के त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से पहाड़ की राजनीति बदल गई है। इस समय विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए मोर्चा नेता हर स्थान का दौरा कर रहे हैं। इस बीच समझौते के बाद आम लोगों के मूड-
मिजाज को भांपने के लिए मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग भी हिल्स में कई स्थानों पर दौरे कर रहे हैं। दरअसल, 18
जुलाई को पिंटेल विलेज में त्रिपक्षीय समझौते के दौरान कई लोग पंडाल से बाहर चले गए थे और यह साफ हो गया है कि कई लोगों को यह समझौता नागवार लगा। यह विमल गुरुंग के गले नहीं उतर पाया और आनन-
फानन में उन्होंने दूसरे दिन ही पिंटेल विलेज में सभा आयोजित कर दी। इसमें विमल ने लोगों को सफाई दी कि यह समझौता उनके विकास के लिए किया गया है और कोई यह नहीं समझे कि अलग राज्य गोरखालैंड का मुद्दा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने छोड़ दिया है। काफी हद तक मामले को संभालने की कोशिश की,
लेकिन हिल्स में लगातार स्थानीय विपक्ष के दलों की ओर से लगाए जा रहे आरोप और जीटीए को गोरखाओं के हित में नहीं होने का बयान देकर काफी हद तक माहौल को प्रभावित तो कर ही दिया। भले ही गोरखा समुदाय को अपने पक्ष में क्रामाकपा, गोरखालीग अपने पक्ष में नहीं कर पाए, लेकिन जीटीए के खिलाफ एक अजीब माहौल खड़ा कर दिया। इसके बाद से पहाड़ की राजनीति में बदलाव आ गया है। विकास की बातें हो रही हैं और विमल गुरुंग स्वयं जाकर कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। जीटीए पर हस्ताक्षर होने के बाद पहाड़ में शायद ही कोई ऐसा स्थान होगा, जहां का दौरा विमल ने अब तक नहीं किया होगा। सभी स्थानों पर जाकर आम जनता से मिल रहे हैं और विकास की संभावनाओं के बारे में बात कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि इस दौरान मोर्चा प्रमुख तराई-डुवार्स के विकास की भी बात कर रहे हैं और पिछले दिनों कई बार साफ किया कि जीटीए मसौदे के तहत विकास के लिहाज से पहले अनुदान की किश्त को तराई-डुवार्स के लिए खर्च किया जाएगा।
(साभार - जागरण )
Post a Comment