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देहरादून में पहली बार वोट डालेंगे तिब्बती समुदाय के लोग

देहरादून: तिब्बती शरणार्थी दून में पहली बार इस लोकसभा चुनाव में मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इस कड़ी में 1950 के बाद और 1987 से पहले भारत में जन्मे तिब्बती समुदाय के लोगों के नाम मतदाता सूची में दर्ज करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिले में अभियान रविवार से शुरू किया गया है। जनपद में तिब्बती समुदाय के लोगों की संख्या छह हजार से अधिक है। बताया गया कि कनार्टक हाई कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने यह कदम उठाया है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन सोनिका के मुताबिक आयोग के निर्देशों के मुताबिक 26 जनवरी 1950 के बाद और एक जनवरी 1987 से पहले भारत में जन्मे तिब्बती समुदाय के लोगों के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएंगे। 

इसके लिए जिले में अभियान शुरू कर दिया गया है, जिसके तहत क्लेमेनटाउटन, सहस्रधारा, मांडूवाला, राजपुर व मसूरी में तिब्बती समुदाय के लोगों के लिए विशेष कैंप लगाने का निर्णय लिया गया है। मसूरी को छोड़ बाकी जगह रविवार से यह शिविर प्रारंभ भी हो गए हैं, जो पांच दिन तक चलेंगे। अपर जिलाधिकारी ने बताया कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने को प्रपत्र छह के साथ तिब्बती समुदाय के संबंधित लोग अपना जन्म प्रमाणपत्र भी लगाएंगे। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि जिस व्यक्ति का नाम दर्ज हो रहा वह आमतौर पर स्थानीय निवासी है अथवा नहीं। पूरी जांच पड़ताल के बाद संबंधित लोगों को मतदाता पहचान पत्र निर्गत कर दिए जाएंगे।

'पहले से ही तिब्बतियों के लिए यह व्यवस्था है। 1950 के बाद जो पैदा हुए हैं, वह चाहें तो वोटर बन सकते हैं। जहां तक 1987 के बाद पैदा होने वाले तिब्बती समुदाय के लोगों की बात है तो इस बारे में केंद्र से विधिक राय ली गई है और संभवत:  इस बारे में स्थिति साफ हो जाएगी।

-राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तराखंड
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