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यूरोप की गर्मी से दार्जिलिंग चाय का एक्सपोर्ट पड़ा ठंडा

दार्जिलिंग : यूरोप में पिछले साल गर्मियों का सीजन लंबा चला था। उस वक्त रुपये की वैल्यू भी विदेशी करेंसी के मुकाबले बढ़ी थी। इससे दार्जिलिंग चाय एक्सपोर्टर्स का बिजनेस ठंडा पड़ गया था। जिन यूरोपीय बायर्स के पास पिछले साल का दार्जिलिंग चाय का स्टॉक पड़ा है, उन्होंने इस साल अब तक भारत से इस प्रीमियम चाय की ज्यादा खरीदारी नहीं की है। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन (डीटीए) के चेयरमैन एस एस बागड़िया ने कहा, 'अभी यूरोप से ज्यादा मांग नहीं है क्योंकि पिछले साल वह समर सीजन लंबा चला था। इससे चाय के कंजम्पशन में कमी आई थी। हम आने वाले महीनों में यूरोप से चाय की मांग बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।' अभी दार्जिलिंग चाय की कीमत क्वॉलिटी के आधार पर 600-900 रुपये किलो के बीच चल रही है। दार्जिलिंग के करीब 87 टी एस्टेट में हर साल 90 लाख किलो चाय का प्रॉडक्शन होता है। इसमें से 65-70 पर्सेंट चाय दुनिया भर में एक्सपोर्ट की जाती है।

यूरोप और जापान दार्जिलिंग चाय के सबसे बड़े खरीदार हैं। भले ही बागड़िया कह रहे हैं कि यूरोप में समर सीजन लंबा चलने से दार्जिलिंग चाय की मांग कम हुई है, लेकिन अंबुटिया ग्रुप के चेयरमैन संजय बंसल ने कहा कि दार्जिलिंग के क्लाइंट्स की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। इसलिए इसकी मांग कम हुई है। बंसल ने बताया, 'वर्ल्ड मार्केट में दार्जिलिंग चाय को कमोडिटी की तरह नहीं लिया जाता। इसे प्रॉडक्ट माना जाता है। अभी यूरोपीय मार्केट में इसके डिस्ट्रिब्यूशन में अंदरूनी एडजस्टमेंट चल रही है।' अगर रुपये में मजबूती आती है तो इसका असर दार्जिलिंग चाय के एक्सपोर्टर्स पर पड़ सकता है। बागड़िया ने कहा कि लोकल करेंसी के मजबूत होने से दार्जिलिंग चाय कंपनियों के एक्सपोर्ट रेवेन्यू में कमी आ सकती है। वहीं बंसल ने बताया कि रुपये की वैल्यू अभी पिछले साल की इसी अवधि के बराबर है। उनका कहना है कि आने वाले हफ्तों में करेंसी की चाल पर नजर रखनी होगी।

दार्जिलिंग टी मार्केट में बायर्स की चलती है। इसलिए चाय कंपनियां उनसे मोलभाव नहीं कर सकतीं। हालांकि इस बीच इंडस्ट्री के लिए कुछ अच्छी खबरें भी आई हैं। दार्जिलिंग में कुछ अरसे के बाद बारिश हुई है। इससे फर्स्ट फ्लश टी पर असर पड़ा है। बंसल ने बताया कि भले ही बारिश कम हुई है, लेकिन इसका फायदा चाय की खेती वाले ज्यादातर इलाकों को मिला है। हालांकि चाय की पत्तियां ज्यादा नहीं खिल रही हैं। हमें नहीं पता कि इस बारिश का चाय की खेती पर अच्छा असर होगा या नहीं। चाय सीजन की शुरुआत में दार्जिलिंग के टी एस्टेट्स को सूखे का सामना करना पड़ा था। इससे शुरुआती प्रॉडक्शन पर बुरा असर हुआ था। 

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