नई दिल्ली। गोरखालैंड आंदोलन से चर्चा में आए सुभाष घीसिंग (79) का गुरुवार की सुबह दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले पांच दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, लिवर फेल हो जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। उनका इलाज डॉ. अनिल अरोड़ा की टीम कर रही थी। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि कुछ महीनों पूर्व भी घीसिंग को इलाज के लिए गंगाराम अस्पताल लाया गया था और तब लंबे इलाज के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। वह लिवर सिरोसिस बीमारी से पीड़ित थे।
पृथक गोरखालैंड की मांग को लेकर घीसिंग ने दार्जिलिंग और उसके आसपास करीब दो दशक पहले हिंसक आंदोलन चलाया था। इसके चलते इलाका कई वर्षों तक अशांत रहा था। इसके बाद सरकार से समझौता होने पर उन्हें अधिकार प्राप्त पर्वतीय काउंसिल का चेयरमैन बनाया गया।
इस काउंसिल ने गोरखा समुदाय के विकास के लिए कई योजनाएं चलाईं। गोरखा जनमुक्ति के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने भी घीसिंग के निधन पर शोक प्रकट किया। अस्पताल में जाकर अंतिम दर्शन करने वालों में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर एवं गोरखा नेता मुनीष तामंग रहे। उन्होंने दिवंगत घीसिंग के पुत्र मन घीसिंग से मिलकर संवेदना प्रकट की।
|
अस्पताल में दिवंगत गोरखा नेता घीसिंग पुत्र मन घीसिंग (मध्य ) के साथ प्रो. मुनीष तामंग एवं अन्य |
Post a Comment