MOTHERS DAY SPECIAL : देश के जवानों के लिए गोरखा शहीद शिव क्षेत्री की माँ ने कहा, 'खुश रहें सदा'
गोरखपुर : जिगर का टुकड़ा सरहद पर देश के दुश्मनों से मोर्चा लेते शहीद हो गया। उसकी यादों और नौजवानी की इस खूबसूरत तश्वीर के सहारे 18 साल गुजार चुकी इस माँ से देश के जवानों के नाम सन्देश मांगा गया तो जुबां पर बस दो शब्द आये, 'खुश रहें'। यही दो शब्द माँ अपने बेटों के लिए हमेशा कहती हैं। ड्यूटी पर जाने से पहले फौजी बेटे शिव सिंह क्षेत्री ने पैर छुआ, तब भी इस माँ ने यही दो शब्द कहे थे। उस अंतिम मुलाकात में जाने क्या बात थी, माँ बावर्दी बेटे के जाने के बाद देर तक दरवाजे पर टकटकी लगाए देखती रही। मानों उसे बेटे के तुरन्त ही लौट आने की उम्मीद हो।
पर किसे पता था कि विधाता ने शिव सिंह क्षेत्री के लिए ऐसी मंजिल तय कर रखी है। जहां से फिर कभी उनकी सशरीर इस दहलीज पर वापसी नहीं होगी। इस जाने के दो महीने बाद 22 अगस्त 1999 को गोरखा रेजिमेंट के जांबाज जवान शिव सिंह क्षेत्री की शहादत की खबर आई। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए शिव शहीद हो गए। उस सर्च ऑपरेशन में उनके साथ रहे जवानों ने बताया, 'कुपवाड़ा सेक्टर के जंगलों में घुसपैठिये-आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। शिव सिंह क्षेत्री और उनकी टुकड़ी 24 घण्टे से उनकी तलाश में जुटी थी। इतना वक्त बीत जाने के बाद रात को डेढ़ बजे के करीब आतंकवादियों की ओर से अचानक फायरिंग शुरू हो गई। शिव और उनके साथियों ने बड़ी बहादुरी का परिचय देते हुए इस फायरिंग का जवाब दिया। उन्होंने तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। लेकिन मुठभेड़ के दौरान शिव सिंह क्षेत्री को भी एक गोली लग गई। जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी साथी उन्हें लेकर आर्मी के अस्पताल पहुंचे लेकिन शिव सिंह क्षेत्री की जान नहीं बचाई जा सकी।
गोरखा रेजिमेंट के इस रणबांकुरे का तिरंगे में लिपटा शरीर गोरखपुर पहुंचा तो श्रद्धांजलि देने के लिए सारा शहर उमड़ पड़ा। लोगों ने कुछ दिन पहले ही करगिल युद्ध की विभीषिका देखी थी। शिव सिंह क्षेत्री की शहादत ने जहां उनके रिटायर्ड सैनिक पिता गोपाल सिंह क्षेत्री, माँ गीता देवी, भाई-बहनों और दोस्तों को रुला दिया वहीं इन सबको और सारे शहर को गर्व से सीना चौड़ा करने का एक मौका भी दे दिया।
कुछ कर गुजरने के जज्बे से भरे थे शिव
शिव सिंह क्षेत्री के बचपन की यादों को साझा करते हुए उनकी माँ गीता देवी ने बताया कि शिव खेल में सबसे आगे रहते थे। वह बचपन से बहुत बहादुर थे। कद में लंबे शिव हमेशा से सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे। इंटरमीडिएट के बाद 1995 में गोरखा रेजिमेंट में भर्ती के साथ उनका यह सपना पूरा हुआ।
बड़े खुशमिजाज थे
शिव बड़े ही मिलनसार और खुश मिजाज थे। जब कभी छुट्टी पर आते दोस्तों के साथ मिलकर खूब मस्ती करते। माँ को ये सारी बातें आज भी उसी तरह याद हैं।
बिछिया में लगी है प्रतिमा
गोरखपुर के बिछिया में शिव सिंह क्षेत्री के घर के पास ही उनकी प्रतिमा लगी है। इस प्रतिमा पर उनकी शौर्य गाथा भी लिखी है। हर आने जाने वाला इस प्रतिमा के सामने पड़ने पर सम्मान से सिर झुका लेता है। इधर, ये माँ और पिता अपने बेटे की शहादत के गर्व के साथ गम को भुलाकर आज भी भारत माता के चरणों में सब कुछ अर्पित कर देने का जज्बा रखे हुए हैं।
- हिन्दुस्तान
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