हिटलर के खिलाफ वर्ल्ड वॉर- 2 में जंग लड़े 99 साल के गोरखा कैप्टन पीबी थापा का देहरादून में निधन
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
देहरादून : हिटलर की नाजी सेना के खिलाफ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मध्य एशिया में वॉर अवार्ड से सम्मानित गोरखा जांबाज ऑनरी कैप्टन पीबी थापा का 99 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। राजधानी के टपकेश्वर क्षेत्र के रहने वाले कैप्टन थापा ने रविवार के दिन रात 8:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। द्वितीय विश्वयुद्ध 1939-45 में मध्य एशिया में जंगी ईनाम से अलंकृत पीबी थापा 11 राइफल्स से सेवानिवृत्त उन कुछ पदक धारकों में।से है जो आज दूनघाटी की शोभा बढ़ा रहे है। 18 जून 1918 को जन्में थापा सन 1937 को क्वेटा (पाकिस्तान) में 2/7 गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए तथा मिस्र, ईरान,ईराक, ग्रीस एवं अफ्रीका में सैन्य सेवा के लिए उनका चयन किया गया।
आजादी के बाद 1947 में जब अंग्रेज 2/7 राइफल्स को अपने साथ ब्रिटेन ले गए तथा राइफल्स में स्वेच्छा से सम्मिलित होने से पूर्व मध्य अफ्रीका में नाजी सेना के खिलाफ जंग-ए-मैदान अपने पराक्रम से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। कमांडिंग अफसर के नेतृत्व में साल 1947 में 3/11 गोरखा राइफल्स के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई। जंगी इनाम के अतिरिक्त उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध मैडल, अफ्रीका स्टार मैडल एवं ईटली वॉर मैडल से सम्मानित किया गया था। 3/11 एवं 5/11 गोरखा राइफल्स में उच्च स्तरीय सेवा प्रदान करते हुए चीन युद्ध (1962)एवं पाकिस्तान युद्ध (1965) में भाग लेने के पश्चात 1968 में अवकाश ग्रहण किया।
31 वर्ष के सैन्य सेवा में उन्होंने सम्मानित सिपाही और राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में सेना को मान दिलाया। उन्होंने अपने परिवार की नन्हीं पीढ़ी को बेहतर शिक्षा दिलाई। उनके परिवार के 4 सदस्य सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने। उनके निधन की खबर मिलते ही राजधानी के गोरखा समाज में दुःख की लहर दौड़ गयी। देहरादून गोरखा उपजातीय समन्वय समिति के अध्यक्ष कमल कुमार राई, गोर्खाली सुधार सभा की मीडिया प्रभारी प्रभा शाह, विकासनगर शाखाध्यक्ष जोगेंद्र शाह, सभा की महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सारिका प्रधान समेत समाज के कई गणमान्य व्यक्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया।
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