ए CM ममता हम गोरखाओं से सीखों मानवता क्या है, भारी भीड़ में घिरे पुलिसकर्मी को गोरखा भाई-बहनों ने बचाया
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
कालिम्पोंग : एक तरफ पश्चिम बंगाल की दुर्दान्त और दमनपसंद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहाड़ के गोरखा लोगों को आतंकवादी बताती है। वहीं दूसरी तरफ वहीं के गोरखा भाई-बहनें अपने ऊपर ही आंसुओं के गोलियां बरसा रहे पुलिसकर्मियों को उग्र भीड़ से बचा रही है। क्या अब भी ममता को मानवता का मतलब समझाने की जरुरत है ? आज दोपहर असामाजिक तत्वों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के पार्टी कार्यालय में आग लगाए जाने के बाद पुलिस ने भारी आंसू गैस के बम और गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। ठीक उसी समय उसी दस्ते का एक पुलिसकर्मी भीड़ के सामने पहुँच गया। जहां उसकी लोगों ने पिटाई शुरू कर दी लेकिन वहां पर मौजूद गोरखा समाज के ही भाई-बहनों ने मिलकर उस बेबस पुलिसवाले को भीड़ से बाहर निकालकर मानवता का संदेश दिया। यह वहीं गोरखा लोग थे, जिनके घरवालो को कुछ सप्ताह पूर्व इन्हीं पुलिसकर्मियों की फायरिंग में जान गंवानी पड़ी थी।
किसी अपने को खोने के गम गोरखा समाज भली-भांति समझता है। ऐसे ही किसी बेटे को यूँ भीड़ में बेबस देखकर समाज के भाई-बहन अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए पुलिस प्रताड़ना से पीड़ित होते हुए भी पुलिसवाले की मदद को आगे आए। आज की इस शानदार तस्वीर के सोशल मीडिया में आते ही गोरखा समाज का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है। शांति के साथ अपने अधिकार की लड़ाई में इस बार गोरखा समाज बहुत संवेदनशील है। क्रूर बनने पर आतुर ममता बनर्जी की पुलिस विभाग में भी आज की घटना के बाद पहाड़ के सभी और मानवीय गोरखा समाज के प्रति अपनी सोच बदलने की शुरुआत अंकुरित हुई होगी।
फोटो साभार - डीके वाईबा
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