देहरादून के गोरखा धावक शंकर थापा साउथ अफ्रीका में बने "आयरन मैन", जीता दुनिया की मुश्किल मैराथन दौड़
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज़ पोर्टल
देहरादून : उत्तराखंड के गोरखा धावक शंकर थापा ने बीते 2 अप्रैल 2017 के दिन दक्षिण अफ्रीका के शहर पोर्ट एलिजाबेथ में विश्व की प्रतिष्ठित मैराथन दौड़ को जीतकर आयरन मैन का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने राज्य के साथ-साथ देश का भी नाम रोशन किया है। Iron Man दुनिया की सबसे कठिन दौर में से एक है, जिसे यूएस नेवी सील नौसेना में एक चुनौती के तौर में शुरू किया गया था। विश्व के कई स्थानों में होने वाले यह दौड़ में 3.8 किलोमीटर समुंद्री तैराकी से शुरु होकर 180 किलोमीटर लंबे साइकिल दौड़ के बाद 42.2 किलोमीटर की पूर्ण मैराथन के बाद समाप्त होता है।
कुल 226 किलोमीटर की इस दौड़ को 16 से 17 घंटे के निर्धारित समय अवधि में समाप्त करना होता है। इस पूरे दौड़ में ट्रांजैक्शन चेंजिंग का समय भी इसी समय के अंदर सम्मिलित होता है। तीन प्रकार की तैराकी, साइकिल दौड़ व पूर्ण मैराथन दौड़ की संयुक्त इस चुनौतीपूर्ण मैराथन में ना केवल साइकिल से संबंधित प्रत्येक कलपुर्जों के बारे में विशेष ज्ञान के साथ-साथ तैराकी में भी महारत हासिल होनी चाहिए इसके अलावा जबरदस्त सहनशक्ति से परिपूर्ण पैदल दौड़ का भी मिश्रण इस स्पर्धा को दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतियोगिता में तब्दील कर देता है।
देहरादून के गोरखा धावक शंकर थापा ने दुनिया भर में अपनी इस उपलब्धि से गोरखा समाज के अदम्य साहस और दृढ़ शक्ति का बेहतरीन नजारा प्रदर्शित किया और बताया की गोरखा जाति के लिए दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण रेस जीतने में कोई बाधा नहीं है। शंकर थापा ने आयरन मैन बनने से पूर्व अपना पहला हाफ मैराथन 2013 में पूर्ण मैराथन 2016 में दौड़े थे इसके अलावा इन्होंने कई तैराकी प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया जिसमें वह नेवी ओपन वोटर 6 किलोमीटर महाराष्ट्र Sea 3 किलोमीटर व नेशनल लेवल के साथ-साथ स्टेट लेवल तैराकी में भी शिरकत कर चुके हैं। इस खेल के जुनून में वह इतने मुग्ध हो गए कि देश के विभिन्न स्थानों में छह पूर्ण मैराथन, अनेकों हाफ मैराथन व 3 हाफ Iron Man की दौड़ में भाग ले चुके हैं।
अपने लगन और कठिन परिश्रम से शंकर थापा ने अपने उम्र ग्रुप 45 वर्ष से अधिक में इस दौड़ को मात्र 13.55 घंटे में समाप्त करके Iron Man का खिताब हासिल किया। अपनी इस उपलब्धि में देहरादून के शंकर थापा का कहना है कि जिंदगी में कभी भी देरी नहीं होती नई शुरुआत करने के लिए यदि मैं 47 वर्ष की आयु में आयरन मैन बन सकता हूं तो आप सब भी यह हासिल कर सकते हैं । आयरन मैन की दौड़ की समाप्ति रेखा बहुत ही भीषण होती है पर जब उद्घोषक समाप्ति रेखा पार करने के पश्चात कहते हैं कि शंकर थापा तुम आयरन मैन बन गए हो तो सब थकान और दुख अचानक गायब हो जाते हैं।
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