रांची के गोरखा गौरव सिद्धार्थ इन्डियन फॉरेन सर्विस (IFS) में हुए सिलेक्ट ,पढ़ें EXCLUSIVE INTERVIEW
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
रांची : एक बार फिर हिंदुस्तान में गोरखा समाज के बेटे ने अपना परचम लहराया है। झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले सिद्धार्थ बराईली को इन्डियन फॉरेन सर्विस (IFS) में आज एलोकेशन मिल गया है, वह IFS में सिलेक्ट हो गए है। इसी साल सिद्धार्थ ने यूपीएससी में बेहतरीन रैंक बनाते हुए यह उपलब्धि हासिल की। अपनी शानदार सफलता पर सिद्धार्थ ने वीर गोरखा न्यूज पोर्टल के एडिटर दीपक राई से Exclusive बातचीत की। जो इस प्रकार से है।
वीर गोरखा : सबसे पहले आपको IFS बनने की शुभकामनाएं। अपनी सफलता को श्रेय किसे देंगे ?
सिद्धार्थ : धन्यवाद। मेरी पूरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। उनकी मदद के बिना में ज़िंदगी में कुछ भी हासिल नहीं कर सकता था। मुश्किल समय के दौरान भी मेरे पेरेंट्स ने मुझसे बातचीत की और हमेशा मेरा हौंसला बढ़ाया। जिसको में कभी भूल नहीं सकता।
वीर गोरखा : अभी आप क्या कर रहे हो ?
सिद्धार्थ : मैं फिलहाल 3 सालों से सिविल सर्विस में हूँ और वर्तमान में फरीदाबाद शहर में इनडायरेक्ट कस्टम विभाग में बतौर असिस्टेंट कमिश्नर पदस्थ हूँ।
वीर गोरखा : एक गोरखा के लिए IFS तक पहुंचना और सिविल सर्वेन्ट बनना कैसा अनुभव है ?
सिद्धार्थ : सबसे पहले मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है। साथ ही गोरखा हूँ बाय बर्थ तो मुझे हमेशा अपने समाज के लिए प्यार रहा है। अपने पुरखों के इतिहास में गर्व है। एक गोरखा युवक का IFS बनना बड़ी बात नहीं, लगन हो तो कोई भी यहाँ तक पहुंच सकता है। हार्डवर्क और डेडिकेशन के सहारे अपने सपने को पूरा किया जा सकता है। मैं 3 बार UPSC की परीक्षा क्लियर कर चुका हूँ। सबसे पहले इन्डियन ट्रेड सर्विस (ITS) ज्वाइन की फिर उसके बाद अच्छी रैंक बनाकर इन्डियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में अपने लिए जगह बनाई। सिविल सर्वेन्ट बनने के किए देश की सेवा का भाव सबसे ज्यादा होना चाहिए।
वीर गोरखा : गोरखा युवा जो आपके जैसा बनना चाहते है, उनके लिए कुछ करना चाहेंगे ?
सिद्धार्थ : बिलकुल। मैं हमेशा से अपने समाज की सेवा के लिए तत्पर हूँ। अभी भी कई गोरखा समाज के युवा मेरे से सफलता के मन्त्र पूछते है।
वीर गोरखा : कोई गोरखा युवा आपके पास आए तो मदद करोगे ?
सिद्धार्थ : मैं भविष्य में गोरखा समाज के युवाओं का मार्गदर्शन करना चाहूंगा। मैं अपने इंजीनियरिंग के दौरान से ही अपने आस-पास के छात्रों को गाइडेंस देने का काम किया है। आगे भी इसी जज्बें को जारी रखूँगा।
वीर गोरखा : दूसरे समाज के मुकाबले हमारे समाज में युवा लोग UPSC को तरजीह क्यों नहीं देते है ?
सिद्धार्थ : गोर्खाली समाज में अभी भी जागरूकता की कमी है। मैं अपने बटालियन एरिये का पहला इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बना तो मुझे अचरज हुआ कि मुझसे पहले किसे गोरखा युवा ने यह प्रयास क्यों नहीं किया। हम हमेशा से छोटे से टारगेट फिक्स करके चलते है। छोटे से ही उम्र में ही हम सिपाही बनने की हसरत मन में रखते हुए उसे पूरा करते है। सिपाही बनने में कोई बुराई नहीं है लेकिन जीवन में महत्वकांक्षा बड़ी रखना बेहद जरूरी है।
वीर गोरखा : गोरखा युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
सिद्धार्थ : हमारे समाज में प्रतिभाओं की कमी नही है। लेकिन साथ ही हमारे समुदाय में गाइडेंस देने वाले लोग भी बेहद कम है। बड़ी सफलता के लिए परिवार में भी सही माहौल की जरुरत होती है। मेरे माता-पिता भी मेरे बोर्ड की परीक्षाओं में घर में टीवी ना देखने का नियम बनाते थे। जिसका बेहद कड़ाई के साथ पालन किया जाता था। हमारे समाज के युवाओं को पढ़ाई के दौरान ही बड़े टारगेट सेट करके उनको पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत करना चाहिए। बस सफलता का यही मूलमंत्र है।
वीर गोरखा : आप IFS के किए कब से ट्रेनिंग स्टार्ट करने जा रहे है ?
सिद्धार्थ : मैं अब बहुत जल्द IRS सर्विस छोड़कर मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी में 3 महीने की बेसिक ट्रेनिंग लूंगा। इसके लिए मैं 27 अगस्त को वहां पहुचुंगा और 28 से अपनी ट्रेनिंग शुरू करूँगा। फिर तीन महीने का यह कोर्स करने के बाद वापस नई दिल्ली स्थित इंडियन फॉरेन सर्विस इंस्टिट्यूट में कोर्स के किए जाऊँगा। वहां से फिर डेढ़ के किए विदेश में बतौर थर्ड सेक्रेट्री ज्वाइन करूँगा।
वीर गोरखा : आपको IFS बनने का जुनून कैसे रहा ? आपने फिलहाल अपने तीसरे प्रयास में यह हासिल तो कर लिया है। क्या आप इससे खुश है ?
सिद्धार्थ : खुश क्यों नहीं होऊंगा ? मैंने तीनों बार अपनी फर्स्ट चॉइस (रेफरेंस) में IFS ही लिखा था। मेरे नजर में IFS में सबसे कम पॉलिटिकल प्रेशर होता है। शायद इसी कारण मुझे यह सर्विस शुरू से ही आकर्षित करता रहा है।
सिद्धार्थ कुमार बराईली प्रोफाइल
जन्मतिथि - 29 मई 1980
हाईस्कूल - सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, घाटशिला, झारखंड
हायर सेकंडरी - दिल्ली पब्लिक स्कूल, रांची
कॉलेज - बीटेक (कंप्यूटर साइंस), BITS, मेसरा (रांची)
डिग्री - MBA (Marketing & IT), फैकल्टी ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़ (IMS), नई दिल्ली
कार्य अनुभव
- 12 साल टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), मुंबई में रहे।
- GE USA
- Cognizant, UK
- मुख्यत: रिटेल बैंकिंग और मोर्टगेज सेक्टर में पोस्ट मर्जर (IT) इंट्रगेशन सेवा में रहे ।
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