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पे-बैंड योजना से अस्थायी कर्मचारी संतुष्ट नहीं

सोनादा। वर्ष 1988 से दार्जिलिंग गोरखा पार्वत्य परिषद के अधीन कार्यरत अस्थाई कर्मचारी जीटीए गठन होने से जितना खुश हैं, उतनी खुशी अस्थायी कर्मचारियों को पे-बैंड के तहत सेमी तौर पर स्थायी करने से नहीं है। अस्थायी कर्मचारी पे-बैंड योजना को लेकर काफी असंतुष्ट है और राज्य सरकार से निकाला गया पे-बैंड नोटिफिकेशन के साथ ही जीटीए समझौते पत्र के क्रम संख्या नौ के क्लोज और मोर्चा नेताओं के दिये गए बयान से अलग है।

इस बाबत कर्सियांग में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी मित्र गुरुंग राजेश तमांग का कहना है कि राज्य सरकार से दिया गया पे-बैंड और इसके नोटिफिकेशन से साफ जाहिर होता है। जो अस्थायी कर्मचारी पिछले 10 वर्ष से काम कर रहा है। उसे पे- बैंड के तहत सेमी स्थायी किया जाएगा और उसे सिर्फ बेसिक स्केल मिलेगा। उस हिसाब से ही ग्रेड के तहत कर्मचारियों के लिए जो 10 वर्ष का मानक बनाया गया उसे 6600 रुपये, सी ग्रेड के कर्मियों को 8400 मिलेगा। इसके अलावा कुछ भी नहीं मिलेगा और सेवानिवृत होने पर एक मुस्त एक लाख रुपये दिया जाएगा। इन असंतुष्ट कर्मचारियों का कहना है कि इस 10-12 वर्ष के बाद एक लाख रुपये का महत्व कितना होगा? यह भी सवाल उठाया कि आंदोलन इसी नतीजे के लिए किया गया था। आमरण अनशन पर बैठे थे।

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि गोरखालैंड जैसे मुद्दे को छोड़कर जीटीए मिल सकता था तो 6221 अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना कोई बड़ी बात नहीं थी। दार्जिलिंग विधायक त्रिलोक देवान ने कहा कि 10 वर्ष पूर्व दागोपाप में बिता चुके अस्थायी कर्मचारियों को जीटीए में स्थानांतरित किया जाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि केवल 10 वर्ष कर्मचारियों को जीटीए में स्थानांतरित करेगा तो बाकी कर्मचारियों का क्या होगा। जीटीए में स्थानांतरित किया तो पूर्ण स्थायीकरण देगा। 10 वर्ष मानक का पे बैंड में डालकर वही पुरानी नीति चालू करेगा। पे-बैंड दे और दे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के स्थायीकरण को नेता भूल चुके हैं और पे-बैंड भी प्रभावित होना तय है।

(साभार - जागरण)

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