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उत्तराखंड सरकार ने तय किये सुगम और दुर्गम ब्लाक

देहरादून । राज्य में लोक सेवकों की तैनाती के लिहाज से 69 सुगम और 52 ब्लाक दुर्गम इलाकों में शामिल किए गए हैं। सालाना तबादला से संबंधित विधेयक लागू होने के बाद इस बारे में रिकार्ड भी सलामत रखे जाएंगे। लिहाजा सूचना का अधिकार के तहत सही जानकारी मिलने से इस व्यवस्था में खोट भी छिपाए नहीं छिप सकेगा। उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक, 2011 में सभी 13 जिलों में सुगम और दुर्गम इलाकों को लेकर भी स्थिति साफ की गई है।

जनपद मुख्यालय से गांव स्तर तक तैनाती के आधार पर इलाकों का वर्गीकरण किया गया है। शहरी सुगम क्षेत्रों में अति सुगम भी चिन्हित किए गए हैं। ऐसे शहरों में एक साल की तैनाती को डेढ़ वर्ष की सुगम तैनाती के समान माना जाएगा। वहीं दुर्गम में मोटर मार्ग से दस किमी से ज्यादा पैदल मार्ग, पांच किमी से ज्यादा पैदल मार्ग और सात हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में एक साल की तैनाती को दो साल की दुर्गम क्षेत्र की तैनाती के समान माना जाएगा।

नई केटेगरी में देहरादून में सात सुगम शहरों में देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश, विकासनगर, हरबर्टपुर और डोईवाला हैं। अति सुगम में देहरादून, ऋषिकेश और विकासनगर हैं। दून में कालसी और चकराता ब्लाक दुर्गम हैं। पर्वतीय जिलों में 52 ब्लाक दुर्गम में हैं। हरिद्वार में एक नगर पंचायत व तीन ब्लाक दुर्गम चिन्हित किए गए हैं। उधमसिंहनगर में दुर्गम क्षेत्र एक भी नहीं है। विधेयक को 28 खंडों में बांटा गया है। एक्ट लागू होने पर स्थानांतरण से संबंधित अभिलेखों के रखरखाव की व्यवस्था भी प्रस्तावित की गई है।

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