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मेरे दूसरे जीवन की हुई शुरूआत : गूंजे लामा

कर्सियांग। दागोपाप के पूर्व अध्यक्ष सुभाष घीसिंग पर दस फरवरी 2001 को कर्सियांग महकमा के चिलाउनेधुरा में जानलेवा हमला करने के आरोप से हमें ठोस सबूतों के अभाव में बेकूसर मानकर बरी किया गया। फैसला सुनने के बाद अजीब खुशी की एहसास हुआ और लगा कि दूसरे जीवन की शुरूआत हुई है। यह जानकारी छत्रे सुब्बा के साथ शुक्रवार को रिहा हुए कर्सियांग निवासी गूंजे लामा ने कही। उन्होंने कहा कि फैसले को सुनने के बाद ऐसा अनुभव हुआ कि मेरा दोबारा जन्म हुआ है। जेल में साधारण कैदी की भांति रहते थे, लेकिन जेल प्रबंधन कर्मियों का व्यवहार हमारे प्रति काफी सराहनीय था।

उन्होंने बंदी जीवन से मुक्त कराने में अहम भूमिका निर्वाह करने वाले सहयोग पहुंचाने संबंधित सभी पक्षों के प्रति श्रेय देते हुए इसके लिए आभार प्रकट भी किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य में तृणमूल कांग्रेस सरकार आने के बाद सभी को मुक्ति मिली है। शायद माकपा सरकार की सरकार होती तो यह मामला भी लंबित कर दिया जाता और इसका कोई नतीजा नहीं निकलता। उन्होंने बताया कि वह एक दशक से अधिक समय तक जेल में बंदी होने के कारण अपने बच्चों को ठीक तरीके से शिक्षा नहीं दिला सके और एक अभिभावक का कर्तव्य भी निर्वाह नहीं कर सके इसलिए सबसे पहले अब अपने परिवार पर वह ध्यान देंगे। किसी राजनैतिक पार्टी में शामिल होने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि बंदी जीवन के दौरान कई कष्ट भी होते थे। इस दौरान जब परिवार के लोग मिलने आते थे तो आंखों में आंसू जाते थे और कई बार मन भावुक हो जाता था। यह स्थिति हर तारीख को रहती थी, लेकिन भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। सभी आरोप बेबुनियाद साबित हुए और सभी आरोपियों को रिहा कर दिया।

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