जनता भौंचक्क, निशंक के सिपहसालार चिंतित
काबिलेगौर है कि आने वाले कुछ महीनों के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, मौजूदा मुख्यमंत्री दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके है। एक तरह से अब सरकार चुनाव की तैयारियों में जुटी थी। ऐसे नाजुक मौके पर पार्टी नेतृत्व में बदलाव कर सकती है, इस पर जनता को विश्वास सा नहीं आ रहा है। जनता यह मानकर चल रही थी कि अब जबकि चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में किसी भी नए शख्स के लिए काम करने को वक्त नहीं मिलेगा। सियासत के लिहाज से भी इस मौके को जनता बदलाव की दृष्टि से कतई नहीं देख रही थी। इसलिए भी जनता के लिए पार्टी का यह फैसला किसी आश्चर्य से कम नहीं है। सत्ता से दूर किए गए निवर्तमान मुखिया के सिपहसालारों की चिंता खुद को लेकर है। सत्ता सुख भोग रहे इन लोगों को एकाएक हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम के चलते ठीक से सांस लेने की फुर्सत भी नहीं मिल पाई। तीन रोज पहले तक उन्हें ऐसा होने की दूर-दूर तक आशंका नहीं थी। खासकर, उन सिपहसालारों के चेहरे बेनूर और चिंता का भाव समेटे हैं, जो सत्ता आश्रित थे। सिपहसलारों की चिंता यह कि बदले राजनीतिक परिदृश्य में उनका क्या होगा ?
(साभार - जागरण)
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