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जनता भौंचक्क, निशंक के सिपहसालार चिंतित

देहरादून उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही अड़तालीस घंटों से चली रही अटकलों पर विराम लग गया, लेकिन भाजपा के इस फैसले से प्रदेश की जनता भौंचक्क है तो सिपहसलार चिंतित। राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर में ताजा घटनाक्रम दोनों के बीच बहस का मुद्दा बना हुआ है। सतही तौर पर तीन रोज पहले तक प्रदेश में सत्तारुढ दल की अंदरूनी तस्वीर सामान्य नजर रही थी, पर वीरवार शाम को हुई हलचल से यहां अटकलों का दौर शुरू हो गया। शनिवार शाम सत्तारुढ दल में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही इन पर विराम लग गया और नई राजनीतिक तस्वीर से धुंधलका भी छंट गया। बदलाव सही है या गलत, यह तो पार्टी हाइकमान जाने, लेकिन इस फैसले को राज्यवासी और सरकार के सिपहसालार आश्चर्य के रूप में ले रहे हैं।

काबिलेगौर है कि आने वाले कुछ महीनों के भीतर राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, मौजूदा मुख्यमंत्री दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके है। एक तरह से अब सरकार चुनाव की तैयारियों में जुटी थी। ऐसे नाजुक मौके पर पार्टी नेतृत्व में बदलाव कर सकती है, इस पर जनता को विश्वास सा नहीं रहा है। जनता यह मानकर चल रही थी कि अब जबकि चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में किसी भी नए शख्स के लिए काम करने को वक्त नहीं मिलेगा। सियासत के लिहाज से भी इस मौके को जनता बदलाव की दृष्टि से कतई नहीं देख रही थी। इसलिए भी जनता के लिए पार्टी का यह फैसला किसी आश्चर्य से कम नहीं है। सत्ता से दूर किए गए निवर्तमान मुखिया के सिपहसालारों की चिंता खुद को लेकर है। सत्ता सुख भोग रहे इन लोगों को एकाएक हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम के चलते ठीक से सांस लेने की फुर्सत भी नहीं मिल पाई। तीन रोज पहले तक उन्हें ऐसा होने की दूर-दूर तक आशंका नहीं थी। खासकर, उन सिपहसालारों के चेहरे बेनूर और चिंता का भाव समेटे हैं, जो सत्ता आश्रित थे। सिपहसलारों की चिंता यह कि बदले राजनीतिक परिदृश्य में उनका क्या होगा ?
(साभार - जागरण)

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