छत्रे की रिहाई का श्रेय नहीं लेना चाहता क्रामाकपा
कालिम्पोंग।गोरखा लिबरेशन आर्गेनाइजेशन के प्रमुख छत्रे सुब्बा की रिहाई का क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी श्रेय नहीं लेना चाहता है। यह भ्रम अनावश्यक लोगों में पाला जा रहा है और यह नहीं होना चाहिए। सही मायने में उनकी रिहाई गोरखालैंड प्रेमियों के लिए जीत सरीखी है और आने वाले दिनों में इस मांग को मजबूती के साथ रखा जा सकेगा। यह जानकारी शनिवार को बातचीत के दौरान गणतांत्रिक क्रांतिकारी युवा मोर्चा के केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण धतानी ने दी। उन्होंने कहा कि छत्रे गोरखालैंड आंदोलन के योद्धा हैं और उनकी रिहाई उनके निर्दोष होने के कारण हुई है। उन्हें जेल में साजिश के तहत डाला गया था और पूरा पहाड़ जानता है कि इसके पीछे गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की साजिश थी। इसमें पूर्व की वाम मोर्चा सरकार की भी भूमिका थी। इसका परिणाम हुआ कि छत्रे सुब्बा निर्दोष साबित हुए और उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद साबित हो गए।उन्होंने कहा कि गोरखालैंड के लिए जो भी व्यक्ति आंदोलन करेगा और इसमें वह जिस तरह भी प्रभावित होगा, क्रामाकपा सीधे तौर पर उसके आंदोलन करेगा। इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अलग राज्य क्रामाकपा का मुख्य मुद्दा है और इसके लिए हर लड़ाई लड़ी जाएगी। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख विमल गुरुंग के साथ भी ऐसा हुआ और उन्हें प्रताड़ित किया गया तो उनके लिए क्रामाकपा आंदोलन करेगी। पार्टी का मानना है कि जो व्यक्ति गोरखा हितों के लिए लड़ाई लड़ेगा, उसके रक्षा के लिए पार्टी उसके पक्ष में आंख बंद करके खड़ी रहेगी। क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने छत्रे की लड़ाई इसलिए लड़ी क्योंकि वह गोरखाओं के लिए लड़ रहे थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी रिहाई का श्रेय लिया जा रहा है। ऐसा कोई सोच रहा है तो वह गलत है।

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