लालची नेता है गोरखालैंड में बाधा - लक्ष्मण प्रधान
दार्जिलिंग। अखिल भारतीय गोरखालीग के महासचिव लक्ष्मण प्रधान ने कहा कि गोरखाओं को पहचान दिलाने के लिए अलग राज्य ही एकमात्र विकल्प है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य के अंदर अलग राज्य के लिए पहल की है। दूसरी ओर, तेलंगाना के गठन को लेकर भी प्रयास हो रहे हैं, लेकिन पहाड़ के लालची नेता गोरखाओं के लिए अलग राज्य गठन कराना नहीं हैं। इसका मुख्य कारण हैं कि उनकी पूछ कम हो जाएगी। उन्होंने गुरुवार को बातचीत के दौरान कहा कि मुख्यमंत्री मायावती द्वारा उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश, बुंदेलखंड व पूर्वाचल का गठन किए जाने का प्रस्ताव केंद्र को दिया गया। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन किए जाने की सिफारिश करने का आश्वासन भी दिया है। यह बात सभी को पता है कि छोटे राज्यों में विकास की गति तेज हो सकती है और इससे कई अधूरे कार्यो को पूरा किया जा सकता है। इसको लेकर कई नेता एकमत हैं।
दक्षिण में तेलंगाना की मांग जोर पकड़ रही है और केंद्र इसके गठन पर विचार कर रहा है। इसके बावजूद सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी गोरखालैंड के मांग को अनसुना किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ के लोग अब भी जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। यहां के महकमा व ग्रामीण इलाकों की हालत खस्ता हो गई है। विकास दूर होता जा रहा है। मूलभूत सुविधाओं के नाम पर आज तक नेताओं ने यहां के जनता के साथ छलावा किया है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों गोरखालीग अलग राज्य की मांग को नहीं भूला है और न ही इस मांग को कभी दरकिनार किया जाएगा। इसके लिए सभी लोग एकजुट हों और आंदोलन जारी रहें। हालांकि कुछ लालची लोग नहीं चाहते हैं कि गोरखालैंड का गठन हो। इसका कारण यह है कि फिर उन्हें राजनीति करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिलेगा।
दक्षिण में तेलंगाना की मांग जोर पकड़ रही है और केंद्र इसके गठन पर विचार कर रहा है। इसके बावजूद सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी गोरखालैंड के मांग को अनसुना किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहाड़ के लोग अब भी जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। यहां के महकमा व ग्रामीण इलाकों की हालत खस्ता हो गई है। विकास दूर होता जा रहा है। मूलभूत सुविधाओं के नाम पर आज तक नेताओं ने यहां के जनता के साथ छलावा किया है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों गोरखालीग अलग राज्य की मांग को नहीं भूला है और न ही इस मांग को कभी दरकिनार किया जाएगा। इसके लिए सभी लोग एकजुट हों और आंदोलन जारी रहें। हालांकि कुछ लालची लोग नहीं चाहते हैं कि गोरखालैंड का गठन हो। इसका कारण यह है कि फिर उन्हें राजनीति करने के लिए कोई मुद्दा नहीं मिलेगा।
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